सिंधु की गहराई - मिथिलेश कुमारी सिंधु की गहराई सिंधु की गहराइयों को, नापते आए मनीषी, वर्ष शत-शत हार बैठे, पर न उत्तर खोज पाए!!! नियति के विश्वास की, इस नीव को किसने हिलाया, हार कर सब तर्क से, मन को धरा पर खींच लाया। और अब विश्वास की, पावन अपावन इस निशा में, प्रबल झोंकों में पवन के, ...
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