शब्दों की धार
-मिथिलेश खरे
शब्दों की धारों से--
भीग गया बोझिल मन,
स्वप्नो की डाली से ,
टूट गया कोमल तन।
जीवन की अमराई ,
गंधवाह बहक गया,
खुशियों का सुमन यहां ,
क्षणभर को महक गया।।
पल भर का साथ कभी,
दर्द दाह देता है ,
एक शब्द नेह भरा ,
कलुष मिटा देता है।।।
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