सच्चाई -मिथिलेश सच्चाई सच्चाई से कबूले गए , उन सहमे सहमे, शुद्ध सहज शब्दों को, उस इबादत की इमारत में, बदलते हुए मैंने देखा है । जो गुरु ग्रंथ साहब में, कई शताब्दियों पहिले, नानक देव जी ने, पन्नों पे उतारी थी । जो अभी भी किसी, झूठ की इमारत पर, भारी भरकम, गुंबद की तरह, भारी है।। वह सच्चाई
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