सच्चाई
-मिथिलेश
-मिथिलेश
सच्चाई
सच्चाई से कबूले गए ,
उन सहमे सहमे,
शुद्ध सहज शब्दों को,
उस इबादत की इमारत में,
बदलते हुए मैंने देखा है ।
जो गुरु ग्रंथ साहब में,
कई शताब्दियों पहिले,
नानक देव जी ने,
पन्नों पे उतारी थी ।
जो अभी भी किसी,
झूठ की इमारत पर,
भारी भरकम,
गुंबद की तरह,
भारी है।।
वह सच्चाई
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