पता नहीं - पता नहीं
-मिथिलेश
-मिथिलेश
पता नही - पता नही
जिंदगी की राह में,
कि कौन, कब, कहां मिले,
कि क्यों करीब आ गये,
पता नहीं , पता नहीं .......
चलेंगे साथ कब तलक,
कि कौन कब कहां रुके,
कि कौन साथ छोड दे,
पता नहीं , पता नहीं ......
यह डोरियों का खेल है,
या कुछ घड़ी का मेल है,
कहां शुरू कहां खतम,
पता नहीं , पता नहीं.....
यकीन है मुझे ,कभी
मिले थे हम किसी जगह,
जो लेन- देन शेष था,
चुका नही,चुका नही......
ये बीच की सड़क हमें,
चला रही सम्हल सम्हल,
कहां है, आदि अंत फिर,
पता नहीं , पता नहीं .....
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