तब चले आना
जब कुछ गुनगुनाऊँ तब चले आना
जब दर्पण दिखाऊँ तब चले आना
तेरा नाम लूंगी तो सब जान लेंगे
जब चांद को बुलाऊँ तब चले आना
खिड़की की औलट में मैं छुप रहूंगी
जब चिलमन हिलाऊं तब चले आना
कनखियों से निहारुंगी घूंघट में तुझको
जब पायल छन छनाऊं तब चले आना
मेरी ही नजर लग जाए तुझे ना
जब पलके गिराऊं तब चले आना
मैं तुझको मनाऊंगी तू रूठे रहना
जब मैं रूठ जाऊं तब चले आना
कहीं शर्म से फिर मर ही ना जाऊं
जब दीपक बुझाऊं तब चले आना
जब कुछ गुनगुनाऊँ तब चले आना
जब दीपक बुझाऊं तब चले आना
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