दो फूल
- मिथिलेश
1 ख़ूबसूरत गुलाब मोहब्बत का पैगाम देते है,
आज भी इश्क में आशिक
फूलों की सौगात देते हैं.
2. जियो तो फूलो की तरह,
बिखरो तो खुशबू की तरह,
क्योकि ज़िन्दगी दो पल की है|
3. हम जान छिड़कते हैं जिस फूल की ख़ुशबू पर
वो फूल भी कांटों के बिस्तर पे खिला होगा
- माधव मधुकर
4.हम ने काँटों को भी नरमी से छुआ है अक्सर
लोग बेदर्द हैं फूलों को मसल देते हैं
- अज्ञात
5.काँटों से दिल लगाओ जो ता-उम्र साथ दें
फूलों का क्या जो साँस की गर्मी न सह सकें
- अख़्तर शीरानी
6.कांटों से घिरा रहता है चारों तरफ से फूल
फिर भी खिला रहता है, क्या खुशमिजाज़ है
7. ग़म-ए-उम्र-ए-मुख़्तसर से अभी बे-ख़बर हैं कलियाँ
न चमन में फेंक देना किसी फूल को मसल कर
8.फूल तो दो दिन बहारे जां फिज़ा दिखला गए
हसरत उन गुंचों पे है जो बिन खिले मुरझा गए
9. ये नर्म मिजाज़ी है कि फूल कुछ कहते नहीं
वरना कभी दिखलाइए कांटों को मसलकर
10अब के हम बिछड़े तो शायद ख़्वाबों में मिलें
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें
11.तस्वीर मैंने मांगी थी शोखी तो देखिए
इक फूल उसने भेज दिया है गुलाब का
12. क्या सचमुच ही मुस्काते हो.,
या कुछ कहीं छुपाते हो?
कहते कहते रुक मत जाना.
क्यों इतना घबराते हो।
13 ख़ुशबू की तरह जीना भी आसान तो नहीं
फूलों से क़तरा- क़तरा निचोड़ा गया मुझे
सोचिये ज़रा, अगर हमारी आंखों की जगह दो मुसकराते फूल होते तो हम भी उनकी तरह खुशबू बिखेरते, महकते रहतेऔर पलक झपकते ही......
........और पलक झपकते ही
दो मुस्कराती, प्यार से महकती खुशबू
बिखेरती आंखो को देख रहे होते।
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