शिवरात्रि पर
-मिथिलेश
: शिवरात्रि पर
फूलों को तो संसार प्यार करता है,
पर शूलों को अपनाने वाले विरले हैं.....
इक शंकर थे ,जिनने जहर पिया,
संसार बचाने वाले नेे,
फिर जग की पूरी कटुता को,
जब बीच कंठ में थाम लिया.....
तब नीलकंठ बन गए शंभुु,
इसलिए बने जग वंदनीय,
अमृत पीकर तो,
सभी अमर हो जाते हैं,
पर विष पीकर जी जाने वाले विरले हैं,
फूलों को तो संसार प्यार करता है
पर शूलों को अपनाने वाले विरले हैं....
××××××××
फूलों को तो संसार प्यार करता है,
पर शूलों को अपनाने वाले विरले हैं.....
इक शंकर थे ,जिनने जहर पिया,
संसार बचाने वाले नेे,
फिर जग की पूरी कटुता को,
जब बीच कंठ में थाम लिया.....
तब नीलकंठ बन गए शंभुु,
इसलिए बने जग वंदनीय,
अमृत पीकर तो,
सभी अमर हो जाते हैं,
पर विष पीकर जी जाने वाले विरले हैं,
फूलों को तो संसार प्यार करता है
पर शूलों को अपनाने वाले विरले हैं....
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विष पीकर जीने वाले " शिव शंकर भोले भाले " शत् शत् वंदन।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंBahut bahut thanks
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