तुम बता दो
- मिथिलेश कुमारी
तुम बता दो
प्राण का पंछी,बिंधा क्यों पिंजरे में,
कौन जाने , द्वार इसका,
कब ,कहां, कैसे खुलेगा ?
तुम बता दो-
तुम बता दो ......
पुष्प पर तो,
शूल का पहरा लगा है ,
आत्मा को त्राण भी तो ,
कब ,कहां, कैसे मिलेगा ?
तुम बता दो -
तुम बता दो .....
चुक गया है तेल ,
बाती भी पुरानी हो गई है,
दिए की लौ थरथराती ,
आंधियों से डर गई है ,
तुम बचा लो -
तुम बचा लो .....
क्या पता ,कितनी कठिन है,
राह का कब अंत होगा?
ज्योति जीवन की सिमटकर,
नभ प्रभा में विलय होगी,
कब, बता दो -
तुम बता दो -
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