बडी दूर चलना है
-मिथिलेश खरे
बडी दूर चलना है
..आसमान वृद्ध हुआशादियां रचा रचा
आदि अंत का रहस्य
क्या कभी सुलझ सका ?
काफिला बड़ा सही
शख्स तो अकेला है
खुशियों की चाहत में
दर्द बड़ा झेला है--
सुबह जगी,सांझ ढली
और दिन निकल गया,
पता कुछ चला नही ,
कौन कब बदल गया-----
दुनिया के मेले में,
सब रँग अलबेले है,
जीवन की चौसर में
खेल बहुत खेले है--'----
कांधे पर कांवर है
पाप पुण्य के पलड़े
खाते हिचकोले हैं,
थके पांव डोले हैं ---
बड़ी दूर चलना है
बड़ी दूर चलना हैll
बड़ी दूर चलना है
Xxxxx
दुनिया के मेले में सभी रंग अलबेले हैं
जवाब देंहटाएंइस मेले में नित नये रंग निरख रहे हैं
कुछ झेल रहे ,कुछ भोग रहे
अब आगे क्या रंग खिल जाएं
क्या गुल खिल जाएं
अनदेखे अलबेले या हों छैल छबीले
Thanks sudha....dear.
जवाब देंहटाएंJeewan ka har rang khoobsurat hai shringar..ya virah..Vaisala.. veer..karun..hasya..ye sabhi ras jeewan meun anubhav karte hai..nahu tui jeewan neeras ho jaata
जवाब देंहटाएंYes neelu..true. achha laga
हटाएंवाह बहुत ही सुन्दर कविता है मैडम, ज़िंदगी की सच्चाई बहुत ही सुन्दर ढ़ंग से की है आपने! 👌👍👏🙏❤ टिप्पणियां भी पसंद आईं! 😊❤
जवाब देंहटाएंThanks maya for your precious words
जवाब देंहटाएंDear mayaji...it is a matter of pride that you read and gave your beautiful reaction..thanks from the depth of my heart
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर
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