भीड से अलग हो कर
-मिथिलेश
भीड़ से अलग होकर
भीड़ से अलग हो कर, जब भी कोई चलता है ,
लड़खड़ाता है, घबराता है, उसे सहारा दो।
भीड़ एक सुरक्षा है एक कवच है ,
भीड़ एक पर्दा है , जिसके पार हो कर ,
आदमी का नंगापन दिखाई नहीं पड़ता ,
उसके पार मत झांको , उसके पार मत झांको,
भीड़ से अलग हो कर , जब भी कोई चलता है
लड़खड़ाता है , घबराता है , उसे सहारा दो।
जग हँसता हो जब तुम पर ,
उसमे बौखलाने की ज़रूरत क्या है ,
सब तुम्हे अच्छा ही समझें,
इसकी भी अहमियत क्या है,
भीड़ से अलग हो कर , जब भी कोई चलता है ,
लड़खड़ाता है , घबराता है , उसे सहारा दो।
इतना याद रखो मेरे दोस्त,
जो भी तुम करते हो, जैसा तुम करते हो,
उसे अपने दिल की तराज़ू पर,
धीरे से तौल लेना, बस,
भीड़ से अलग हो कर , जब भी कोई चलता है ,
लड़खड़ाता है , घबराता है , उसे सहारा दो।
बाकी जग की जग के साथ जाने दो,
उसके लेखे की फ़िक्र क्या करना ,
मुझसे जो बन पड़ा, किया होगा ,
वह अब भी मेरे साथ जाता है ,
भीड़ से अलग हो कर , जब भी कोई चलता है ,
लड़खड़ाता है , घबराता है , उसे सहारा दो।
Xxxxx xxx
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें