बेबसी----
- मिथिलेश कुमारी
बेबसी -----
प्राण अकुलाये बहुत ,
गम सह न पाए ,
अधर तो कांपे मगर
कुछ कह ना पाए ×××××
आंख में आंसू भरे,
फिर बह ना पाए ,
क्या कहूं कैसे कहूं ?
जो रुक न पाए ×××××
बाग में कुछ फूल थे,
जो खिल न पाये,
दीप में बाती रही,
पर जल न पाए ××××××
नदी के दोनों किनारे,
मिल ना पाए,
अंजली की रेत हूँ मै,
रिस न जाए।
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