जीवन का केनवास
- मिथिलेश कुमारी
जीवन का केनवास
तुम्हारे हाथ में तूलिका है, रंग हैं
सामने है जीवन का कैनवास ....
और तुम हर घड़ी,
चित्र खुद का ही
बना रहे हो।
अपने ही भीतर का,
अपने ही बाहर का ,
निरंतर बना ही रहे हो ---
तुम्हारे हाथ में तूलिका है ,रंग है ,
सामने है जीवन का कैनवास........
××××
ऐसा मत करना
कि चित्र दो पर्तो में बन जाए ,
पारखी दर्शक की पैनी नजर,
बाहर के चटक रंगों को चीरकर,
पर्तों की तह को उधेड़ देगी।
कांच की तरह भ्रम
टूट टूट गिर जाएगा ---
इसलिए भीतर का रंग
बहुत सावधानी से भरो ......
तुम्हारे हाथ में तूलिका है, रंग है----
भीतर का रंग, मैला मत करना,
गर्दिशों की धूल से,
निन्दा के कीचड से,
हर आड़ी तिरछी रेखा को
बहुत संभाल कर खींचना.....
तुम्हारे हाथ में तूलिका है ,रंग है ,
और सामने है जीवन का कैनवास....
अन्यथा कहीं ऐसा ना हो,
जब चित्र पूरा बन जाए,
तो तुम उसे पहचान ही न सको,
खुद से ही पूछने लगो,
क्या यह मैं हूं ?
ऐसा तो नहीं सोचा था !
ऐसा तो नहीं होना था!
ऐसा तो नहीं चाहा था !
उफ! यह मेरी तस्वीर !
तुम्हारे हाथ में तूलिका है ,रंग है ,
और सामने है जीवन का कैनवास
जीवन का कैनवास.......
××××××××××
सामने है जीवन का कैनवास ....
और तुम हर घड़ी,
चित्र खुद का ही
बना रहे हो।
अपने ही भीतर का,
अपने ही बाहर का ,
निरंतर बना ही रहे हो ---
तुम्हारे हाथ में तूलिका है ,रंग है ,
सामने है जीवन का कैनवास........
××××
ऐसा मत करना
कि चित्र दो पर्तो में बन जाए ,
पारखी दर्शक की पैनी नजर,
बाहर के चटक रंगों को चीरकर,
पर्तों की तह को उधेड़ देगी।
कांच की तरह भ्रम
टूट टूट गिर जाएगा ---
इसलिए भीतर का रंग
बहुत सावधानी से भरो ......
तुम्हारे हाथ में तूलिका है, रंग है----
भीतर का रंग, मैला मत करना,
गर्दिशों की धूल से,
निन्दा के कीचड से,
हर आड़ी तिरछी रेखा को
बहुत संभाल कर खींचना.....
तुम्हारे हाथ में तूलिका है ,रंग है ,
और सामने है जीवन का कैनवास....
अन्यथा कहीं ऐसा ना हो,
जब चित्र पूरा बन जाए,
तो तुम उसे पहचान ही न सको,
खुद से ही पूछने लगो,
क्या यह मैं हूं ?
ऐसा तो नहीं सोचा था !
ऐसा तो नहीं होना था!
ऐसा तो नहीं चाहा था !
उफ! यह मेरी तस्वीर !
तुम्हारे हाथ में तूलिका है ,रंग है ,
और सामने है जीवन का कैनवास
जीवन का कैनवास.......
××××××××××
जीवन का कैनवास बड़ा विचित्र ये कैनवास रंग भरते भरते भी उनके रूप बदल जाते अपने आप .
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