तनहाई
मिथिलेश
तनहाई
मैं हूं, मेरी तनहाई है,
तनहाई में गहराई है,
गहराई में इक दर्पण है,
जिसमे दिखती है तस्वीरे।
.वे तस्वीरें दूर बहुत है
कुछ बचपन की, कुछ यौवन की,
कभी चहकती ,कभी ठिठकती,
कुछ मुस्काने, कुछ आहें भी .....
पर सब कुछ अब भी सुंदर है,
हर दम मुझको घेरे रहता,
नहीं अकेले रहने देता......
मैं हूं, मेरी तनहाई है।
मैं हूं और मेरी तनहाई है।।।
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