उम्र भर के घाव
-मिथिलेश
-मिथिलेश
मेरे घाव तो उम्र भर के हैं,
भर गए हैं ऊपर से,
निशान अभी तक बाकी हैं,
ज़रा सा कुरेदोगे तो,
फिर से रिसने लगेंगे,
ऐसा मत करना मेरे दोस्त...
सदियां बीत गईं,
जब होश संभाला था,
नहीं उसके भी पहले,
जब बचपन भोला भाला था।
तब से याद है मुझे,
भाभी की वह बात,
मुझ पर लगी वह तोहमत,
झूठी थी, बिल्कुल ही झूठी,
जो भैया से उन्होंने कही थी,
मुझे पिटवाने के लिए।।
पीठ पर जो घूंसा पड़ा,
वह बहुत धीमा था,
दिल पर पड़ा घाव,
बहुत गहरा था,
उम्र भर दर्द देता रहा।।
पर एक बात कह गया,
सच को सच साबित करना,
तब भी मुश्किल था,
आज भी मुश्किल है,
आगे भी लगता है,
शायद मुश्किल ही रहेगा
बहुत मुश्किल ही रहेगा।।
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