बादल
-मिथिलेश
-मिथिलेश
ज़िन्दगी पर्वती दरिया सी
बही जाती है,
चलो खड़े हो लें,
दो घड़ी के हैं साये.....
भरोसा क्या है खुले
आसमां में बादलों का,
भरी दोपहर में कब,
बरस के दिल भिगो जाएं !!!
सभी को प्यार की डोरी
से बांध लो यारो,
न जाने कौन कहां
बियाबां में खो जाए !!!
चलो बहुत हुआ
अब हाथ पकड़कर चलना,
न जाने कौन कब
अधर में छोड़, गुम जाये !!!
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