-मिथिलेश
संबंधों की परिभाषाए
ख्वाब में हो ख्याल में हो,
और पूजा प्रार्थना में,
सुबह की उजली किरण में,
और ढलती शाम में हो....
नींद केआगोश में भी
रात के सुनसान में भी,
कौन सा संबंध है,
कैसी डोर है यह?
अमर्यादित ,अपरिभाषित,
किन्तु पावन और,
लगती है अलौकिक,
ईश के वरदान जैसी,
अखंडित अस्पृश्य जैसे,
दीप की स्वर्णिम शिखा सी.....
ख्वाब में हो ख्याल में हो,
और पूजा प्रार्थना में,
सुबह की उजली किरण में,
और ढलती शाम में हो....
नींद केआगोश में भी
रात के सुनसान में भी,
कौन सा संबंध है,
कैसी डोर है यह?
अमर्यादित ,अपरिभाषित,
किन्तु पावन और,
लगती है अलौकिक,
ईश के वरदान जैसी,
अखंडित अस्पृश्य जैसे,
दीप की स्वर्णिम शिखा सी.....
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