कौन देश जाते हो दिनकर
-मिथिलेेेश
कौन देश जाते हो दिनकर
कौन देश जाते हो दिनकर?
धरती मां को रोज़ रुलाकर,
क्या तुमने भी खोया है कुछ,
जिसे खोजते डूब डूब कर?
×××
मेरी भी है एक गुजारिश,
मत लाना तुम मोती चुनकर,
ले आना वे दिन बचपन के,
उदास हूं मैं जिन्हें खोकर !!!
×××
पाकर खोना, खोकर पाना,
दुनिया का दस्तूर यही है,
शब्द अर्थ की लुकाछिपी में,
दिल के जैसा चोर नहीं है!!!
×××
सूनेपन की सेज सलोनी,
चाहे जितने फूल बिछा लो,
एक शूल को भी दुलराना,
मन को क्यों मंजूर नहीं है?
×××
बियाबान में शोर बहुत था,
मैं जागी थी जिसको सुनकर,
तन अब तक भी सिहर रहा है,
अनजाने में किसको छूकर!!!
××××××××
धरती मां को रोज़ रुलाकर,
क्या तुमने भी खोया है कुछ,
जिसे खोजते डूब डूब कर?
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मेरी भी है एक गुजारिश,
मत लाना तुम मोती चुनकर,
ले आना वे दिन बचपन के,
उदास हूं मैं जिन्हें खोकर !!!
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पाकर खोना, खोकर पाना,
दुनिया का दस्तूर यही है,
शब्द अर्थ की लुकाछिपी में,
दिल के जैसा चोर नहीं है!!!
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सूनेपन की सेज सलोनी,
चाहे जितने फूल बिछा लो,
एक शूल को भी दुलराना,
मन को क्यों मंजूर नहीं है?
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बियाबान में शोर बहुत था,
मैं जागी थी जिसको सुनकर,
तन अब तक भी सिहर रहा है,
अनजाने में किसको छूकर!!!
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