ओस के मोती
- मिथिलेश
सिर पर तारों का ताज पहन,
रातों के मौन अंधेरे में,
जब आसमान रोया करता,
चुपके चुपके सबसे छुपके!
रातों के मौन अंधेरे में,
जब आसमान रोया करता,
चुपके चुपके सबसे छुपके!
तब फूलों की कोमल पलकें,
उसके आंसू झेला करती।
कुछ सहम सहम,
कुछ झुक झुक कर,
कुछ सिहर सिहर,
कुछ झूम झूम कर।
आंसू को ओस बना,
प्रातः वही फूल मुस्काते हैं,
दुख भी तो इतना सुंदर है,
सारे जग को दिखलाते हैं!
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