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वट वृक्ष

वट वृक्ष
       -  मिथिलेश        

          

                  वट वृक्ष  
                  ----------    
      बढता  है  धरती पर जब  कोई वट  वृक्ष,
          जगत के  संताप  को  
              सहने  के  लिये, 
                 खोल देता है  
           अपना विशाळ वक्ष।
                    
          झरते  हैं   पत्र -पुष्प,
          बढती   है   शाखायें,
           फैलता है वट वृक्ष, 
        किन्तु,  कैसी  विडम्बना है यह?
         उसी की  छाया में  पलने वाले ,
           नन्हे     नन्हे        पौधे ,
             करते हैं  ये  शिकायत 
           कि तेरी विशालता ने ही 
             हमें बौना बनाया है  !!
बढ़ता है जब धरती  पर, जब  कोई  वट  वृक्ष   ....
         
            सुनता है, गुनता  है,
            सौ सौ अबूझे प्रश्न , 
            एक साथ  गूँजते  हैं, 
            आंधी  सी  आती है, 
            शाखाएं कंपती   हैं,
           पात पात  झुकते हैं, 
  पर  टूटता  नहीं है, बूढ़ा  वट  वृक्ष !!
   बढता है धरती पर,जब कोई वट वृक्ष ....
                 
           धरती  का    प्यार,
       और अम्बर  की  आशाएं ,
          ज़ख्मों को सहलाती,
          बढे  चलो इसी तरह ,
         गंधवाह      सिखलाती,
          और फिर  इसी तरह
         सहता जाता है हर वर्ष !!
   बढता है धरती पर, जब कोई वट वृक्ष, .......
                 
           पत्र पुष्प झरते हैं ,
           शाखाएं खिँचती हैं, 
         फिर  उसी  दुलार  भरी,
           ठंडी सी  छाया  में, 
             नन्हे  नन्हे  पौधे,
            नया जन्म लेते  हुए ,
             उगते चले  जाते हैं !!
 बढता है धरती पर जब कोई  वट वृक्ष .........
             ×××××××
.
      जीवन का क्रम भी कुछ,
         ऐसा ही   होता   है,
          फिर से दोहराती हैं  
          पुरानी कहानियां,
        सार वही   होता है  ,
       शब्द बदल  जाते हैं 
        हर  बार फिर वही
          बूढ़ा  वृक्ष होता है!!! 
             ×××××

                             
    The Banyan Tree   (A summary)                                                                                                                     - mithilesh                  
  The banyan tree grows on earth,
   to endure the world's anguish,and
   It opens its Vishala(broad) chest,
   The flowers, leaves, all grow and 
   It spreads its huge arms,
          The Banyan Tree,                                   
   How  Ironically, the young,
 Little plants complain that 
your vastness has  made us dwarf,       When a tree grows,
 it hears on the  earth, , 
Hummings of  a hundred  questions ,    All echo together,  and    a  thunderstorm   comes,  
 branches tremble,                   
 the  leaves  bow,
but the old tree tree does not break --    Love of the earth and
 The hopes of the SKY 
  Keep it aloft.

 It  bears the wounds, 
grows up, spreads its smell,
 -Let us also follow the same,    
    Spreading fragrance   
      The old tree grows old, 
      continues  flowering,                             The branches bloom, and
   Again in its loving shade,                         The  little plants take new births,           Thus the old stories 
repeat again and again.
   THE BANYAN TREE GROWS AND 
     SO    ON.............ON...  

टिप्पणियाँ

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  2. जीवन का क्रम भी कुछ,
    ऐसा ही है,
    सदियां बीत गईं,हर सदी में
    पैदा होता है नन्हा-सा
    इक पौधा फिर
    लहराता बलखाता
    शनै शनै बूढ़ा होता
    यही तो है जीवन क्रम
    हमारा तुम्हारा
    और सारे जहां का..........

    जवाब देंहटाएं

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