सत्य की शक्ति
वे सत्य, शुद्ध , शब्द ,
संगमरमर के बेदाग टुकड़ों में,
बदल गये हैं अब सब,
और उनसे जुड़ कर बन गया है,
एक बहुत सुन्दर पावन मंदिर,........
मूर्ति नहीं है बीच में ,
एक खूबसूरत एहसास है ,
निराकार निर्विकार प्रेम का,
एक बहुत गहरे विश्वास का......
गीता कुरान बाइबिल से पूछो ,
सबने उसे संभाला है हाथों मे,
स्वर्ण मंदिर में मत्था टेको तो,
नानक देव की वाणी बोलेगी.......
मानव का मानवता से रिश्ता ,
बना देता है उसे फरिश्ता,
बस वही है केंद्र बिंदु प्रेम का
उसका विस्तार वृत्त मे होने दो.......
क्योकि वृत्त का
आदि अंत नहीं होता
उसे तो बस अनंत के साथ
एक होने दो......
कदाचित यही है नियति उसकी ,
उसको बदलने की चेष्टा मत करो,
शाश्वत को शाश्वत ही रहने दो....
शाश्वत को शाश्वत ही रहने दो .....
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वृत का कोई अंत नहीं वह तो बस अनन्त है
जवाब देंहटाएंबस वही शाश्वत है वही सत्य है
अति उत्तम है अंतिम सत्य है ।
Sudha dear...tumne padha aur samjha..shukriya.
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर
जवाब देंहटाएंBahut sundar abhivyakti dear mam
जवाब देंहटाएंBahut hi khoobsurati se shabdon ki maala piroyi hai... amazing
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