बडी दूर चलना है -मिथिलेश खरे बडी दूर चलना है ..आसमान वृद्ध हुआ शादियां रचा रचा आदि अंत का रहस्य क्या कभी सुलझ सका ? बडी दूर चलना है.... काफिला बड़ा सही शख्स तो अकेला है खुशियों की चाहत में दर्द बड़ा झेला है-- बडी दूर चलना है.... सुबह जगी,सांझ ढली और दिन निकल गया, पता कुछ चला नही , कौन कब बदल गया----- बडी दूर चलना है..... दुनिया के मेले में, सब रँग अलबेले है, जीवन की चौसर में खेल बहुत खेले है--'---- बडी दूर चलना है........ कांधे पर कांवर है पाप पुण्य के पलड़े खाते हिचकोले हैं, थके पांव डोले हैं --- बड़ी दूर चलना है बड़ी दूर चलना हैll ..आसमान वृद्ध हुआ शादियां रचा रचा बड़ी दूर चलना है Xxxxx
तब चले आना जब कुछ गुनगुनाऊँ तब चले आना जब दर्पण दिखाऊँ तब चले आना तेरा नाम लूंगी तो सब जान लेंगे जब चांद को बुलाऊँ तब चले आना खिड़की की औलट में मैं छुप रहूंगी जब चिलमन हिलाऊं तब चले आना कनखियों से निहारुंगी घूंघट में तुझको जब पायल छन छनाऊं तब चले आना मेरी ही नजर लग जाए तुझे ना जब पलके गिराऊं तब चले आना मैं तुझको मनाऊंगी तू रूठे रहना जब मैं रूठ जाऊं तब चले आना कहीं शर्म से फिर मर ही ना जाऊं जब दीपक बुझाऊं तब चले आना जब कुछ गुनगुनाऊँ तब चले आना जब दीपक बुझाऊं तब चले आना