जीवन का केनवास - मिथिलेश कुमारी जीवन का केनवास तुम्हारे हाथ में तूलिका है, रंग हैं सामने है जीवन का कैनवास .... और तुम हर घड़ी, चित्र खुद का ही बना रहे हो। अपने ही भीतर का, अपने ही बाहर का , निरंतर बना ही रहे हो --- तुम्हारे हाथ में तूलिका है ,रंग है , सामने है जीवन का कैनवास........ ×××× ऐसा मत करना कि चित्र दो पर्तो में बन जाए , पारखी दर्शक की पैनी नजर, बाहर के चटक रंगों को चीरकर, पर्तों की तह को उधेड़ देगी। कांच की तरह भ्रम टूट टूट गिर जाएगा --- इसलिए भीतर का रंग बहुत सावधानी से भरो ...... तुम्हारे हाथ में तूलिका है, रंग है---- ...
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