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जनवरी, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

यादों के झरोखे

 यादों के झरोखे     -मिथिलेश खरे                  यादों के झरोखे *मिथिलेश खरे मेरी बेटी की व्यस्त जिंदगी में , यादों की गुजरती गलियों में , ऐसा भी आयेगा एक दिन मेरे जाने के बाद .... जब मेरी पूजा की चौकी के नीचे भरा वर्षों का खजाना , छोटी छोटी चीजों से भरा वह कचरा हां कचरा ही कहती थी उसे वह नहीं फेक पाएगी कभी भी---- निकाल कर देखा करेगी , जिल्द फटी रामायण , पहिले पन्ने पर रखी तस्वीरें श्री मां और अरविंद की , आखिरी पन्ने पर दबा पुराना पीला पड़ा लिफाफा, और उसमें गुलाब की पंखुड़ियां ! मेरी दीक्षा के फूल, सूखे ,मुरझाए ,पर पूरे जीवंत उन्ही फूलों के स्पर्श में, जीती रहूंगी मैं --पता है मुझे , मरने के बाद भी जीती रहूंगी मैं जीती रहूंगी मैं ...... ...

नया साल आ गया

  नया साल आ गया-2021         -  नया साल आ गया -2021 जिंदगी की धार आगे बढ़ गई है , उम्र की रस्सी कहीं से मुड़ गई है कुछ पुराने बंध टूटे हैं मगर, नई गांठों से कहीं से जुड़ गई है..... जो निकट थे कभी वे अब , अलविदा कह कर गए हैं , बहुत जो रिश्ते मुखर थे मौन वे अब हो गए हैं .... जगत का दस्तूर है यह , यही सब के साथ होगा , बावरे मन को बता दो कई जनम का बोझ होगा .... . आज का हमको पता है , कल कहां थे? अबूझा है, और कल होंगे कहां अब अंत का किसको पता है ? अंत का किसको पता है?

Shivratri par

  शिवरात्रि पर           -मिथिलेश : शिवरात्रि पर फूलों को तो संसार प्यार  करता है,  पर शूलों को अपनाने वाले विरले हैं..... इक शंकर थे ,जिनने जहर पिया, संसार बचाने वाले नेे, फिर जग की पूरी कटुता को,  जब बीच कंठ में थाम लिया..... तब नीलकंठ बन गए शंभुु,  इसलिए बने जग वंदनीय, अमृत पीकर तो,  सभी अमर हो जाते हैं, पर विष पीकर जी जाने वाले विरले हैं, फूलों को तो संसार प्यार करता है पर शूलों को अपनाने वाले विरले हैं.... ××××××××

नया साल

  नव वर्ष की शुभ कामनाएं                            - नये साल में ---- राह में पलट पलट कर उन लकीरों को मत देख, जो कभी रुपहली थी , तो कभी सुनहरी थी .... ×××.. अब आगे की ओर देख , समय के कोहरे में डूबी , वे यादें केवल धुंधली हैं , उन्हें पीछे लौट जाने दो !!! ××× अब सामने फैले हुए हरे भरे नागफनी से भरे इस कटीले जंगल को देख, जहां से होकर तुझे गुजरना है!!! ××× शीत बहुत बढ़ जाए तो, अतीत का चादर ओढ़ कर कांटों की चुभन को नकारते हुए पूरे तीन सौ पैसठ दिन चलना है!! पूरे तीन सौ पैसठ दिन चलना है!!!